ब्रह्मा

ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक हैं। त्रिदेव - ब्रह्मा (सृजन कर्ता ), विष्णु (संरक्षक), और महेश (संहारक) हैं। ब्रह्मा एक कमल के फूल से स्वयं पैदा हुए, जो विष्णु जी की नाभि से उत्तपन हुआ जब विष्णु जी ने सृष्टि सृजन के बारे में सोचा था। विष्णु पुराण के अनुसार, ब्रह्मा के नौ मानसपुत्र हैं: भृगु, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, अंगिरस, मरीचि, दक्ष, अत्रि और वशिष्ठ। ब्रह्मांड के सृजन में उनकी मदद करने के लिए, ब्रह्मा ने मानव जाति के 11 पूर्वजों को जन्म दिया जिन्हें 'प्रजापति' नाम से जाना गया है और सात महान संतों / 'सप्तऋषि' को जन्म दिया। 

पुराणों में ब्रह्मा-पुत्रों को 'ब्रह्म आत्मा वै जायते पुत्र:' ही कहा गया है। ब्रह्मा ने सर्वप्रथम जिन चार-सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार पुत्रों का सृजन किया उनकी सृष्टि रचना के कार्य में कोई रुचि नहीं थी वे ब्रह्मचर्य रहकर ब्रह्म तत्व को जानने में ही मगन रहते थे।

इन वीतराग पुत्रों के इस निरपेक्ष व्यवहार पर ब्रह्मा को महान क्रोध उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा के उस क्रोध से एक प्रचंड ज्योति ने जन्म लिया। उस समय क्रोध से जलते ब्रह्मा के मस्तक से अर्धनारीश्वर रुद्र उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा ने उस अर्ध-नारीश्वर रुद्र को स्त्री और पुरुष दो भागों में विभक्त कर दिया। पुरुष का नाम 'का' और स्त्री का नाम 'या' रखा।

प्रजापत्य कल्प में ब्रह्मा ने रुद्र रूप को ही स्वायंभु मनु और स्त्री रूप में शतरूपा को प्रकट किया। इन दोनों ने ही प्रियव्रत, उत्तानपाद, प्रसूति और आकूति नाम की संतानों को जन्म दिया। फिर आकूति का विवाह रुचि से और प्रसूति का विवाह दक्ष से किया गया।

दक्ष ने प्रसूति से 24 कन्याओं को जन्म दिया। इसके नाम श्रद्धा, लक्ष्मी, पुष्टि, धुति, तुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शान्ति, ऋद्धि, और कीर्ति है। तेरह का विवाह धर्म से किया और फिर भृगु से ख्याति का, शिव से सती का, मरीचि से सम्भूति का, अंगिरा से स्मृति का, पुलस्त्य से प्रीति का पुलह से क्षमा का, कृति से सन्नति का, अत्रि से अनसूया का, वशिष्ट से ऊर्जा का, वह्व से स्वाह का तथा पितरों से स्वधा का विवाह किया। आगे आने वाली सृष्टि इन्हीं से विकसित हुई। 

सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः।

रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः।। 8.17।।  

अर्थात - जो मनुष्य ब्रह्मा के एक हज़ार चतुर्युगीवाले एक दिन को और सहस्त्र चतुर्युगीपर्यन्त एक रातको जानते हैं, वे मनुष्य ब्रह्मा के दिन और रात को जानने वाले हैं।


ब्रह्मा जी की पीढ़ियां जिन से श्री राम जी अस्तित्व में आये।